मत्स्य पुराण
भगवान शिव के उन्नत Shaolin kung fu के ज्ञान
भगवान शिव ने आडि नामक दैत्य को योग शक्ति के एक उन्नत रिती से मार दिया थें।
मेढ्रे वज्रास्त्रमादाय दानवं तमसूदयत
अबुध्यद्वीरको नैव दानवेन्द्रं विषूदितम् १५६ /३७ मत्स्य पुराण
भगवान शिव ने अपने आकार छुपाते हुए मेढ्र अर्थात स्वाधिष्ठान चक्र के अग्नि तत्व बल को वज्रास्त्र अर्थात बिजली शक्ति के रूप में अभि मन्त्रित करके उस दानव (आडि) को मार दिया
यहां योगा के अन्तर्गत हमारे स्वाधिष्ठान को संबोधित करते हैं यहां चमकम में नव च में कहा है यहां नवद्वार को योग से संकुचित करके क्रिया करने से योग के बल उत्पन्न होता है इसे करने के तरीका योग में दर्शा गया है अर्ध पद्मासन में बैठकर मूल एवं उदियान बंद से प्राण अन्तः मुखी करके और अपान को उर्धव मुख करने से स्वाधिष्ठान में वे दोनों मिल जाता हैं और इनके आपस के घर्षन से कुण्डलिनी संचालित होता है तब हम हमारे ७२००० नाडी को संचालित करके अग्नि तत्त्व उत्पन्न कर सकते हैं और अनेक रूपों को भी उत्पन्न कर सकते हैं।
अथर्ववेद १०:२:३१/ १०:२:६ श्वेताश्वरो उपनिषद ३/१९ में भी इन नव द्वारों के बारे में उलेख किया हैं।
कंफू में एसा बहूत
सारे मारक प्रहार होता है जिससे अंग्रेजी में deadly stroke कहा हैं इससे संचालन कुछ योगा के नियमित अभ्यास से हो सकता है उसको बाद में सोलहनी कंफू बन दिया है आज भी कुछ इसके अभ्यास बौद्ध लोगों ध्वारा टिब्बट में करवाते हैं
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