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Showing posts from October, 2021

पालयन अनुक्रम स्वरूप तथा आगम सुत्र

पालयन अनुक्रम स्वरूप तथा आगम सुत्र संस्कृत व्याकरण में आगम सुत्र का महत्व ऐसा है कि इसमें एक अक्षर का लोप हो जाता है उसके स्थान पर दुसरे अक्षर का अजाते हैं। जैसे स्वर वर्णों का अनुनासिक में उच्चारण होने पर वो लोग  हो जाता है क्योंकि वहां इत् संज्ञा प्रतिपादन होता है उसे संस्कृत भाषा में पालयन अनुक्रम अक्षर बोल सकते हैं जैसे राम + सु प्रत्यय में उ का जैसे स् + उ में उ कार का अनुनासिक रूप उच्चारण से उकार लोप हो जाता हैं क्योंकि वहां इत् प्रतिपादन होता है यह निर्देश व्याकरण अद्योच्चारणं शब्द से निर्देशित करते हैं। हमें लगता है संस्कृत से ही सी भाषा का विकास हुआ हैं। धन्यवाद हर हर महादेव 🙏

वेदज्ञान तथा सी भाषा

वेदज्ञान तथा सी भाषा  वेद में विषय का संधान करते हैं इससे निपात बोलते हैं सी भाषा में इसे objective code कहते हैं यहां तो विषय का भेद होते हैं जैसे अ स्वारादि इकार प्रत्यक्ष गोचर रूपत्व प्रकृति प्रत्ययान्तक हैं। इसलिए सी को भगवान का प्रोग्रेम भाषा कहते हैं। ऐसा ही वेद में शं प्रत्यय इत्यादि का संधान में अलग अलग अर्थोप्ति होता है यही objective code preference हैं यह वेद ज्ञान हैं।  हालांकि आधुनिक सी भाषा में कवेल  अंग्रेजी लिखते हैं ऐसा नहीं है की अन्य भाषाओं के अक्षर नहीं लिख सकते हैं। उसके केलिए अलग  संकेत वर्गीकरण कर सकते हैं धन्यवाद हर हर महादेव 🙏

व्याकरण ज्ञान तथा सी भाषा विकास

व्याकरण ज्ञान तथा सी भाषा विकास व्याकरण एक ऐसा विषय है जिसे वेद का मुख कहा हैं। अब मुख एक प्रधान प्रत्ययंत्क हैं अब इसे कंप्यूटर भाषा में header file  कहते हैं जैसे सी भाषा में लिखते हैं # include <std.io>•h  इसे लिखने मुख्य उद्देश्य है ये एक पहले ही निर्देशित कृत्य है ये संक्षिप्त हो जैसे यहां io ये एक ऐसा कृत्य है जो पहले से निर्देशित किया है ये हर एक software में होते हैं । इसे संस्कृत भाषा में  प्रक्रिया सामर्गी  कहते हैं । जैसे पाणिनि महार्षि जी के दो सुत्र में ये बात स्पष्ट करेंगे जब हम व्याकरण में पहले निविष्ट में आदिरत्येन सहेता इसमें प्रत्याहार सुत्र निर्देशित करते हैं जैसे दो शब्द में अनेक शब्द वाच्य को ग्रहण करते हैं जैसे अण् प्रत्याहार में अनेक वचन लुप्त हैं जैसे इसमें मध्याम अक्षर को भी ग्रहण किया जायेगा अ बोलने जैसे आ इ,ई ई,उ,ऊ ग्रहण किया जायेगा ये संस्कृत भाषा पहले दिपद हैं अ और ण् यहां पहले अक्षर ही header अर्थात प्रधान हैं। इसके व्याख्या जो पुर्वं न होते हुए भी परम हैं। वहीं आदि हैं। दुसरे सुत्र अणुदित सुवर्णस्य च प्रत्ययः यहां दीर्घ वाले अक्षर होते हैं। यही नियम

C programming in Vedas

C programming in Vedas C एक मध्यमवर्गीय भाषा हैं अर्थात यंत्र के संबंंधित भाषा को उच्चतम भाषा में बदल सकते हैं यही सी का मुख्य उद्देश्य है  वेद में कैसे सी भाषा हो सकता हैं? अब खुद के मन में विचार आये होगा आखिर कार वेद में ऐसा क्या है? इसका उत्तर निकालने हेतु हम इसे ही तीन भागों में बढ़ देंगे। १) भाषाज्ञान  २) व्याकरण ज्ञान ३) वेद ज्ञान भाषा ज्ञान समझने हेतु एक व्याकरण उससे ही भाषा का नियम वा syntax कहते हैं अब  आप के प्रश्न हो सकता है संस्कृत भाषा ही क्यों संस्कृत भाषा में एक द्वि तथा तीन पद होता हैं इसके एक भाषा के आधार तथा दत्त  सामग्री को data कहते हैं पहले यांत्रिक भाषा में द्विसंख्यात्मक अर्थात binary अंक निर्देशित करते हैं दुसरा अक्षरात्मक हैं इसे लोप आगम वा आदेश के अनुसार मानते हैं इसमें अक्षर का उत्पत्ति संधान ही मूल हैं लेकिन संख्या नियम में एक ही क्रिया को कही बार दौरान एक विधि नियम है यही उसकी मूल हैं ऐसा करने का कार्य को कंप्यूटर में  loop कहते हैं ये हो गया भाषा विज्ञान इसे पहले नियमक रूप मानते हैं इसके कारण एकान्तिक वा अनेकान्तिक निर्देशित क्रिया होती है। आजकल इतना ही धन