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Showing posts from May, 2019

आर्य समाजी के उत्तर क्या अद्वैत वेद विरुद्ध हैं?

आज कल कुछ आर्य समाजी लोग पुराण के प्रमाण से आदिशंकराचार्य जी के खण्डन करते हैं इनके कोई औकात नहीं है अद्वैत वेदांत के खण्डन करने केलिए इनके दयानंद जी ही परिछिन्न नास्तिक थे हम इनके प्रमाण से पहले आर्य समाजी और अद्वैत और अन्य हिन्दू मत बहुत से अन्तर है आर्य समाजी ब्राह्मण उपनिषद अरण्यक आदि को नहीं मानते पुराण को भी नहीं मानते इसके नीच परिछिन्न नास्तिक अग्निव्रत ब्राह्मण से झूठ बोलते हैं। इनके अग्निव्रत से पुछे जब तुम ब्राह्मण में विज्ञान मानते हैं तो तेरे चेले उसे क्यों अवैदिक कहते हैं  अग्निव्रत ठिक से ब्राह्मण के व्याख्या नहीं कर सकता विज्ञान क्या सिखायेगा अब आते हैं प्रमाण पर न तो ये इसके सही भाष्य है इसके अर्थ गलत किया है वास्तव मायावद बौद्ध धर्म के एक परिछिन्न मत है महायान विरजयान और  शुन्यवाद इसमें प्रकृति कोई कारण माना है वास्तव में शंकराचार्य जी ने ब्रह्म कोई  मूल कारण माना है बौद्ध धर्म के लोग ब्रह्म को नहीं मानते थे इसको खण्डन करने हेतु शंकराचार्य जी अद्धैत मत अपना कर बौद्ध का खण्डन किया अद्वैत   मत अपना कर लोगों को धार्मिक बनाया वेद उपनिषद में इनके प्रमाण है इसके समीक्षा बात

विवेक आर्य के पोल खोल

विवेक आर्य के पोल खोल यहां आर्य जी के स्थति बिगड गये जब दयानंद जी को अद्वैत समझने में  बल नहीं रहे बेचारे आर्य समाजी क्या समझते? बेचारों को स्कूल जाना उचित होगा पहला माय क्या हैं ?  सदासद विलक्षणो माया इसके पात चलता हैं असत (अनस्थित्व) या सत‌ ( अस्थित्व) का विलक्षण को माया कहते हैं । इसके विपरित प्रकृति के विपरित लक्षण से मूलतः लक्षण भिन्न भिन्न भास होता हैं जैसे घटा भिन्न भिन्न दिखाई देता है लेकिन उसके मुल स्वाभविक रुप मिट्टी तत्व से बाना हैं नैमित्तिक (बाहरिक ) रुप अलग अलग दिखाई देता हैं उसी प्रकार ब्रह्म का अलग-अलग रुप एक ही हैं लेकिन व्यवहार में अलग पहचान से पाता चलता हैं न्याय और वैशेषीक मैं आत्मा के इच्छा राग द्वेश प्रयत्न आदि को आत्मा के लक्षण माना जाता है न कि इसके गुण अगर इसको आत्मा के गुण मानने पर आत्म में दोष हो जाता है और आत्मा कभी अजर अमर नहीं होगा डाक्टर साहब आप क्या आत्मा को दवा दे सकते हैं? आपको बुद्धि केलिए मेडिकल सैंस से ही उदाहरण देते हैं मान लिजिए अगर आपके पैसंट मैं कोई वैरस के कारण रोग के लक्षण उत्पन्न होता हैं तो क्या वैरस में भी लक्षण होता हैं ये केवल नैमित