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Showing posts from January, 2022

गीता भगवान कृष्ण के वचन नहीं है

कुछ शैव विरोधी भगवान शिव को नीचा दिखाने  केलिए भगवान् कृष्ण भगवान शिव का उपदेश किये हैं क्यों कि भगवान राम को भी शिव गीता का उपदेश देते हैं उसके चलते भगवान कृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हैं  अनु गीता परं हि ब्रह्म कथितं योगयुक्तेन तन्मया।  इतिहासं तु वक्ष्यामि तस्मिन्नर्थे पुरातनम्॥१३॥ मेरे द्वारा सदाशिव के विषय मे बताया गया था और  परं हि ब्रह्म कथितं योगयुक्तेन तन्मया। इतिहासं तु वक्ष्यामि तस्मिन्नर्थे पुरातनम्॥१३॥ मेरे द्वारा परब्रह्म के विषय मे योग युक्त होकर बताया गया था  उस विषय में मैं तुम्हें एक पुरातन इतिहास बताऊँगा। यहां योग और युक्त समाहर ही योग युक्त है यहां सप्तमी तत्पुरुष समास है इसलिए यहां योग के अर्थ ऐश्र्वर्य आदि नहीं हो सकता हैं अगर भगवान् कृष्ण अपने पीछले जन्म में विद्या प्रप्ता हुआ उनके संस्कार नाश नहीं हो सकते हैं भगवद्गीता ११:४७ आत्मयोगत् यहां सप्तमी तत्पुरूष समसा है कोई वस्तु एक भाव या स्थिति के अंदर स्थित हो उसे सप्तमी में कहते हैं जैसे आत्मेषु योग: आत्म में युक्त होकर   यही अर्थ होता हैं क्यों कि यहां शतपथ ब्राह्मण में लिखा है रूद्रो वै प्राण  यहां भगवान कृष्ण को अ