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Showing posts from November, 2019

सुरेन्द्र कुमार शर्मा अज्ञात का पोल खोल

इस ब्लॉग में हम सुरेन्द्र कुमार शर्मा अज्ञात का पोल खोलते हैं । मुर्ख को संस्कृत तो नहीं पता चला हैं गीता का अनुवाद करने  मुर्ख ने जो अक्षेप किया हैं उसके खण्डन करेंगे दूखिए अक्षेप : मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य येऽपि स्युः पापयोनयः। स्त्रियो वैश्यास्तथा शूद्रास्तेऽपि यान्ति परां गतिम् यहां मुर्ख सुरेन्द्र कुमार शर्मा अज्ञात  इसका अर्थ करते हैं "अर्थात हे अर्जुन मेरे शरण लेने से पापों से उपजे ये लोग स्त्री , वैश्य ,शुद्र भी परम गति प्राप्त होते हैं। मुर्ख आगे उत्तर न पाया तो खण्डन कि भय से कोई तर्क नहीं दिया क्या लिखा रहा हैं देखिए! हम अपनी ओर से इस प्रयास को चुनौती देने केलिए कोई तर्क प्रस्तुत नहीं करना चाहते। अतः यहां हम गीता के प्रचनीतम् उपलब्ध शंकर भाष्य को उद्धृत करना चाहते हैं । जिसे हिन्दू के आदरणीय विद्वान आदि शंकराचार्य ने ८ वी शातब्दी में लिखे थे।  वै लिखते हैं ‌।  "पापयोनयः पापा योनिः येषां ते पापयोनयः पापजन्मानः। के ते इति? आह -- स्त्रियः वैश्याः तथा शूद्राः" अर्थात पापयोनि पापमय हैं योनि जन्म जिन का अर्थात पापी जन्मने वाले वे कौन हैं। इसका उत्तर स्त्री , वैश्य

धर्म की परिभाषा

हम सब के मन में एक विचार उत्पन्न होता हैं धर्म क्या हैं इनके लक्षण या परिभाषा क्या हैं। इस संसार में धर्म का समादेश करने केलिए होता हैं लक्ष्य एवं लक्षण सिद्ध होता हैं लक्षण धर्म के आचरण करने के नियम हैं जैसे ये रेल गाड़ी को चलाने केलिए पटरी नियम के रूप कार्य करते उसी प्रकार धर्मीक ग्रन्थों में धर्मा अनुष्ठान   नियम दिया हैं  इसके विषय में वेद पुराण स्मृति तथा वैशेषिक सुत्र में इस प्रकार प्रतिपादित किया गया हैं। वेद ,पुराण, वैशेषिक  एवं स्मृतियों में धर्म के बारे क्या कहा हैं १) या हि चोदना धर्मस्य लक्षणं सा स्वविषये नियुञ्जानैव पुरूषमवबोध्यति ब्रह्म चोदन तु पुरुषं अवबोधयतैव केवलं अववोधस्य चोदनाजन्यत्वात् न पुरूषोऽवबोधे नियुज्यते यथा अक्षार्थसंनिकर्षेण अर्थावबोधे तद्वत्  (ब्रह्म सुत्र ) यहां पर धर्म जिज्ञासा और ब्रह्म जिज्ञासा में भिन्नता   अवश्य होता हैं धर्म तु कर्मना पष्ठी कहा है अर्थात इस कार्य जगत हमें वेद के पूरक  वचन के अनुसार धर्म के कार्य अवश्य करें  लेकिन ब्रह्म को केवल जानना होता हैं उसके साक्षात्कार से ब्रह्म का चोदन (समादेश) सिद्ध  होता है ( अर्थात श्रृति प्रमाण के प्र