१) कलियुग में वेद प्रतिपादित वर्ण व्यवस्था प्रायः नष्ट हो जायेगा।
२) प्रत्येक वर्ण तथा वर्णाअश्राम त्याग करनेवाले मनुष्य अपने वर्ण से विपरित कार्य में ही अपना सुख प्राप्त करेंगे।
३) इसके कारण लोगों में वर्णसंकरता बढ जायेगी। परिवार टुट जायेंगे धर्म बिखर जायेगा।एवं लोगों के पतन होगा।
४) प्राकृतिक आपदाओं से लोगों कि जगह जगह पर मृत्यु होगी।
५) धन का क्षय होगा लोगों को लोभ के प्रवृत्ति बढ़ जायेगा
६) ब्राह्मण प्रायः लोभी हो जायेंगे वेद को बेचकर आजिविका करने वाले होंगे
७) मद मोह में उल्लासित होकर दुसरे को टोकने वाले होंगे।
८) पुजा पाठ नहीं करेंगे तथा ब्राह्म ज्ञान शुन्य होंगे।
९) क्षत्रीय प्रायः अपने धर्म का विपरित होकर कुंसगी पापि एवं व्योभीचारि होंगे।
९०) शौर्य पराक्रम से शुन्य हो जायेंगे।
११) शुद्रवत काम करने लगेंगे और शुद्र समान हो जायेंगे ।
१२) सब काम के आधीन होंगे।
१३) वश्य अपने धर्म से विमुख हो जायेंगे
१४) कुमार्ग से धन अर्जित करने में लगे रहेंगे।
१५) तोलमौपन में अधिक ध्यान देते हुए लोगों के धन अर्जित करने वाले होंगे
१६) शुद्र भी अपने धर्म से विमुख होंगे।
१७) सिर्फ अच्छी वेशभूषा में आपने ध्यान लगते हुए व्यर्थ ही घुमेंगे।
१८) कुटिल एवं ईर्षा युक्त होकर अपने धर्म का प्रतिकुल हो जायेंगे तथा कुकर्मी एवं वाद विवाद करने वाले होंगे।
१९) अपने को कुलीन मानते हुए सभी धर्मों तथा वर्णों में विवाह करेंगे।
२०) स्त्री सदाचार से विमुख हो जायेगी।
२१) सदा अपने पति अपमान करने वाली होगी।
२२) सास ससुर से लड़ने वाली होगी।
२३) मलिन भोजन का सेवन करने वाली होगी इनसे उसकी शील स्वभाव पर विपरीत असर होगा।
२४) इनका मुक्ति का उपाय यह कि जो साधनों से श्रेष्ठ है ंं।
२५) वेद का पावन हैं ऐसा शिव पुराण का कथन से लोग सर्व पापा एवं बन्धन से मुक्त हो जाते हैं।
१६) यह शिव पुराण का रहस्य है ंं।
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