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ऋभु गीता का रहस्य १


ऋभुः गीता अध्याय १:१
ये ऋभुः गीता पहले श्लोक हैं इसमें भगवान के सूत्ति से मङ्गलाचरण व्याक्त किया हैं यहां महा गणपति की महिमा किया हैं । महा गणपति शिव गणों या रुद्र गणों के पालनहार या नायक हैं । पुराणों में भगवान गणपति को भगवान शिव के पुत्र बताया हैं। पुर्व में गणपति भगवान कहानी में हम पाते हैं उसके पेट विशाल थे इसके अर्थ ये कदपि नहीं करना चाहिए वो हाथी जैसे हैं गणपति हाथी वाला रुप भगवान शिव के अमोघ प्रेम को बताया हैं रूद्र संहिता में लिखा हैं अपने भक्त गजासुर नमक हाथी को अपने पुत्र के रूप में स्वीकार करने हेतु अमोघ कलात्मक तंत्र विद्या से हाथी के रुप दिऐ तंत्र के कुछ पद्धति से अपने पुत्र को हाथी के रुप दिए यहां भगवान शिव जानते थे वो अपने बैटे हैं किन्तु उसके भक्त को पुत्र रूप में स्वीकार करने के लिए लीला मात्र था दुसरे बात यहां ये सिद्ध होता हैं भगवान गणपति को हाथी के शिर प्राधन करके उससे सब शास्त्र सपन्न विनय शील विद्या शील किये अन्त में उसके उदार पेट ये दर्शाति हैं कि जैसे
 भगवान कृष्ण गीता में कहते हैं कि मेरे भक्तों के नाश नहीं होगा ऐसे ही सब भगवान हमारे नाश नहीं होने देंगे इसलिए पुराण या अवतार के रूप में प्रकट होकर हमें ज्ञान देते हैं । नीचे वाले श्लोक शिवरहस्य नमक ग्रंथ से लिया हैं यहां भगवान शिव जी ब्रह्मा का पुत्र ऋभु को उपदेश किया हैं इस मंत्र का भाव हैं भगवान अपने माया शक्ति से छोटे से छोटे बड़े से बड़े वस्तुवों अपने अंदर समाहित कर लेता हैं ऐसे समस्त तत्व का अधिदेवता को सकाम भावन
से पुजन करते हैं वो भगवान हमें समस्त दूःखों से रक्षा करें 

हेमाद्रिं किल मातुलुङ्गफलमित्यादाय मोदाधिको 
मौढयान्नाकनिवासिनां  भयपरैर्वाक्यैरिव प्रार्थितः ।
नीलीशम्बरनीलमम्बरतलं जम्बूफलं भावयन् 
तं मुच्ञन् गिरिमम्बरं परिमृशन् लम्बोदरः पातु मा 
हिन्दी अनुवादः
प्रभु गणपति जो आनन्दपूर्वक पर्वत मेरु को धारण कर सकते हैं मतालुङ्गफलों (बेर जाति के एक फल) जैसे धारण किया हुआ  तब भयभीत आकाशीय देवता से निवेदन पुर्वक प्रार्थन किया हुआ जो उस समय विस्तृत नीला आकाश को अधिकृत करने हेतु उसके परिक्रमण किये थे जैसे कि वो जम्बू फल थे । एसे उदार पेट वाले महागणपति हमारे रक्षा करें 
अंग्रेजी अनुवादः
May the Lord ganapati who joyously holds the Mount Meru as if it were berry fruit ,who then pleaded by the frightened by celestial beings lets go of only to capture the blue expanse of the sky taking it to be like a jambu fruit -May that lord ganapati with huge belly protect me
This sloka proclaim god by his Maya sakti can hold up all natural matters within him including smallest to biggest thing 


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