ईसाई जो वेद का खण्डन करते हैं उसके साथ क्या होगा इस के दो तथ्य के आधार पर पेश करेंगे बैबल एवं हिन्दू बैबल में कहा हैं कि उनको बहुत रवरव नरक मिलेगा यहां पर ये स्पष्ट तोर पर कहा हैं कि वेद भी परमेश्वर का वचन हैं क्योंकि रोमन 1:20 में कहा गया है: "परमेश्वर की अनदेखी सृष्टि से ही उसके नित्य सामर्थ्य और देवत्व को समझा जा सकता है" यहाँ "अनदेखी सृष्टि" से तात्पर्य है वेदों में वर्णित सृष्टि के नियम और परमेश्वर की महिमा को दर्शाता हैं। कुलुस्सियों 2:8 में कहा गया है: "किसी को दर्शनशास्त्र और व्यर्थ धोखे से न बहकाए, जो मनुष्यों की परंपरा और संसार की मूल तत्वों पर आधारित हैं, न कि मसीह पर" यहाँ "मनुष्यों की परंपरा" के अलावा अन्य ज्ञान को भी परमेश्वर का ज्ञान माना गया है, जिसमें वेद भी शामिल हैं। हिन्दू धर्म में गरूड पुराण में लिखा हैं उन्हें कलपक नरक मिलता हैं जहां उनके प्रत्येक अंगों को यमदूत नोच नोचकर अलग-अलग करेंगे। भाई, बाइबिल में भी ऐसे लोगों के लिए दंड वर्णित हैं: बाइबिल के अनुसार: 1. अनन्त आग में डाला जाना - मत्ती 25:41 2. अन्धकार में ड...
महिषासुर के साथ विष्णु तथा भगवान शिव के युद्ध महिषासुर एक प्रलयंकर दानव था उन्होंने यह वर पालकर रखा था हमारे मृत्यु किसी प्रकार के जीव अस्त्र से हमारे मृत्यु नहीं अमर होने के अर्थ यह नहीं हैं मृत्यु ना हो बहुत काल तक हमें संकट ना हो अब पहले भगवान विष्णु तत्क्षण युद्ध क्षेत्र में आये और महिषासुर से युद्ध करने लगे अनेक प्रकार के अस्त्र एवं शास्त्रों से पर्वत के समान विसाल वस्तुओं से युद्ध हुआ तदन्तर विष्णु भगवान अपने गदा से असुर के शिर पर प्रहार कि और असुर मुर्छित हो गया तब असुर सेना हाहाकार मचा गया। यहां पुराण के कथा में भयानक रस हैं अर्थात यहां यह करने का अर्थ हैं हम भगवान के भक्ति से बड़े से बड़े भयानक संगत में भी खड़े हो सकते हैं। यहां भगवान भक्ति कि महत्व समझाया गया हैं। आगे वह दानव आपने भक्ति के बल से खड़ा हो गया और एक परिध लेकर असुर ने भगवान विष्णु पर असुर प्रहार किया इससे विष्णु भगवान मुर्छित हो गये तत्क्षण गरुड ने विष्णु भगवान को मुर्छित देखकर उन्हें युद्ध स्थल से दुर लेकर चला गया।तब देवता लोग भयभीत हो गए तब उनके भय को देखकर करुण भाव में शंकर भगवान वहां आये भगवान शिव कि भाय...