आज काल कुछ आर्य समाजी लोग भविष्य पुराण को मिलावटी बोलते हैं क्यों की इनका कहना हैं की वहां अंग्रेजी शब्द पाया जाता हैं इसलिए इसके मुख्य कारण हैं अज्ञात भविष्य पुराण में भविष्य का कथन करते हैं इनमें ऐसा शब्द होना और बनना कोई गलत नहीं हैं। अंग्रेजी लेटिन रूस इत्यादि भाषा में संस्कृत का शब्द का प्रत्योत्तर भेद पाया जाता हैं इसे समझने हेतु इस लेख को पढ़ सकते हैं जानुस्थाने जैनुशब्दः सप्तसिन्धुस्थैव च हप्तहिन्धुर्यावनी च पुनर्ज्ञेया गुरूण्डिका रविवारे च सण्डे च फलगुणे चैव र्फवरी षष्टिश्च सिक्सटी ज्ञेया तदुदाहारमीदृशम् भाष्य: भविष्यति इति भविष्यं इत्यैव प्रक्ते जानु सन्धिः स्थाने इति जैनु वा जैन्ट इति ज्ञायते चेत् इति शका प्रतियोत्तरे योवन भाषा मध्ये अर्थे एव मत्वा सप्तसिन्धोः अर्थे हप्त हिन्दोः इति ज्ञेयम् गुरूण्डिका ( गु + रुण्डिका) नाम विख्यातिं प्राप्तः अङ्गल भाषास्तु रविवारे सुनु शब्दे सण्डे इति ज्ञेयम् द्वितीया अर्थे र्फवरी फल्गुणं इति भवेत् षष्ठी उच्यते षषां मध्ये सस् नामधेयम् शब्दं षष्ठी स्यात् इति भावः तददुदाहरं एव दृश्यं इति चैन् । अनुवादः होने वाले भविष्य अर्थ में जानु या जंगा शब्...