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Showing posts from July, 2019

आर्य समाज केलिए प्रशन

आर्य समाज के एक मत के अनुसार ईश्वर , आत्मा और प्रकृति अनादि और नित्य है और अलग सत्ता है ।इनके अनुसार आत्मा परमात्मा का अंश नही है क्योंकि आत्मा का स्वाभाविक गुण राग , द्वेष और ...

क्या भगवत पुराण में मुर्ति पूजा विरोध हैं?

यस्यात्मबुद्धिः कुणपे त्रिधातुके स्वाधोः कलत्रादिषु भौम इज्यधीः यत्तीर्थबुद्धि सलिले न कर्हिचि ज्जनेष्वभिज्ञेषु स एव गोखरः १०:८४:१३ यस्य - जो आत्मनः अपने बुद्धि - वि...

वैशेषिक दर्शन एवं न्याय दर्शन में विज्ञान

वैदिक विज्ञान एक चिंतन   भौतिक विज्ञान के अनुसार हर पदार्थ  प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप में गतिमान होता हैं  जैसे कि उदाहरण केलिए जैसे चलना दौड़ना इत्यादि अप्रत्यक्ष रुपता जैसे शास लेना, अणु संयोग इत्यादि  वैशेषिक एवं न्याय के अनुसार अणु को ऐसे कण माना हैं जिसको अधिक नहीं तोड़ सकते हैं इससे हि हर प्रत्येक  परमाणु के चरम,  अन्तिम,या मुल रूप मानते हैं विज्ञान के अनुसार अणु में ३ सूक्ष्म कण (sub atomic particles)  होता हैं जैसे (electron ,proton neutron) इसको वेद एवं दर्शनों में विद्युदाणु (electron), उद्भुदाणु (proton) और अव्ययाणु (neutron) एवं केन्द्रकोश( nucleus) कहा हैं विज्ञान में स्थिती परिवर्तन को गति कहा हैं इसे ही हमारे वेद में माया शब्द से आरोपित  किया गया हैं ये स्थिति कार्य में  मूल रूप से विद्यमान होता हैं माया को विलक्षण माना जाता है या फिर शश्वतॎः शुन्यस्य अर्थात जिस प्रकृति ब्रह्म तत्व के बिना कुछ ना हो या शुन्य हो मिथ्या को उपाधि संज्ञा के अनुसार माना है जैसे सोने खडा हैं तो खडा स्वयं सोना नहीं है ऐसा नहीं कह सकते अगर खडा ...